Lyrics
ओ फूलों के देश वाली
अंग अंग तेरा फूलों वाला
जैसे गुलाबो की हो माला
पंछी सी चके फसलो सी लहके
सरसों सी फूल चंपा सी महक
आँचल में बिजली
नैन में चपलता
चल में हिरनी की चंचलता
जी चाहता है तुझको बिठाकर
पतझड़ का दर्द कहूँगा
अब तो मै चुप ना रहूँगा
तू चिर यौवन अन्नत हो
क्यों की तुम ऋतु बसंत हो
मुझको तुम्हारा ही है इंतज़ार
क्या तुमको मालूम है
पतझड़ को कितना होगा
बसंत की ऋतु से प्यार
Copyright: Royalty Network
Writer(s): Dr Bhupen Hazarika, Govind Maya
अंग अंग तेरा फूलों वाला
जैसे गुलाबो की हो माला
पंछी सी चके फसलो सी लहके
सरसों सी फूल चंपा सी महक
आँचल में बिजली
नैन में चपलता
चल में हिरनी की चंचलता
जी चाहता है तुझको बिठाकर
पतझड़ का दर्द कहूँगा
अब तो मै चुप ना रहूँगा
तू चिर यौवन अन्नत हो
क्यों की तुम ऋतु बसंत हो
मुझको तुम्हारा ही है इंतज़ार
क्या तुमको मालूम है
पतझड़ को कितना होगा
बसंत की ऋतु से प्यार
Copyright: Royalty Network
Writer(s): Dr Bhupen Hazarika, Govind Maya
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